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36 छात्रों का भविष्य अधर में –कोटाडोल शासकीय विद्यालय का परिणाम रोका गया, 

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पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री से की उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई की मांग

MCB जिले के भरतपुर विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कोटाडोल के कक्षा बारहवीं कृषि संकाय के 36 छात्र-छात्राओं का वार्षिक परीक्षा परिणाम छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा रोक दिया गया है। इस गंभीर प्रकरण को लेकर भरतपुर सोनहत के पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच एवं दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

शाला प्रबंधन एवं छात्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इन छात्रों के परिणाम रोकने का कारण उत्तर पुस्तिकाओं में अलग-अलग व्यक्तियों की हैंडराइटिंग होना बताया। जब छात्र-छात्राएं व उनके पालक रायपुर स्थित मंडल कार्यालय पहुंचे तो उन्हें उत्तर पुस्तिकाएं दिखाई गईं, जिनमें स्पष्ट रूप से अलग-अलग लेखनशैली दिखाई दी।इस मामले में छात्रों का आरोप है कि विद्यालय के शिक्षकों ने उन्हें गुमराह करते हुए लिखित सहमति पत्र ले लिया कि अलग-अलग हैंडराइटिंग उन्हीं की है। पालकों का आरोप है कि यह पूरा मामला विषय विशेषज्ञों द्वारा अपनी साख बचाने और दबाव के चलते की गई कथित छेड़छाड़ से जुड़ा हुआ हो सकता है।

केवल शासकीय विद्यालय के छात्रों का परिणाम रोका गया

इस परीक्षा केंद्र में कुल 70 से अधिक छात्र-छात्राएं (निजी व शासकीय विद्यालय) परीक्षा में शामिल हुए थे। किंतु आश्चर्यजनक रूप से केवल शासकीय विद्यालय कोटाडोल के 36 छात्रों के ही परिणाम रोके गए। इनमें अधिकांश छात्र आदिवासी समुदाय एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों से आते हैं।

दो वर्षों तक परीक्षा में शामिल होने से भी वंचित

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि परिणाम रोकने के साथ-साथ इन 36 छात्रों को इस वर्ष के अलावा आगामी दो वर्षों तक परीक्षा में बैठने से भी वंचित कर दिया गया है। इससे छात्रों का भविष्य पूरी तरह अधर में लटक गया है।

पूर्व विधायक गुलाब कमरों की मांग

पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लिखे पत्र में कहा है कि यह मामला बेहद संवेदनशील एवं गंभीर है। यह केवल शिक्षा की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता, बल्कि 36 गरीब व आदिवासी छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने जैसा है।

उन्होंने मांग की है कि—

इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

उत्तर पुस्तिकाओं में किसके द्वारा छेड़छाड़ की गई, इसकी सच्चाई सामने लाई जाए।

दोषियों पर सख्त कार्यवाही हो।

प्रभावित छात्रों का रोका गया परिणाम शीघ्र जारी किया जाए।

छात्र-पालकों की पीड़ा

परिणाम रुकने से आक्रोशित पालकों ने कहा कि उनके बच्चों ने मेहनत से परीक्षा दी थी। यदि किसी ने उत्तर पुस्तिका में छेड़छाड़ की है तो सजा दोषियों को मिलनी चाहिए, न कि छात्रों को।यह पूरा मामला न केवल शिक्षा तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण गरीब व आदिवासी बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री एवं शासन इस गंभीर प्रकरण पर कब तक ठोस कार्यवाही करते हैं।

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