रायपुर/मनेंद्रगढ़…..जनता मांग रही गृह मंत्री से जबाव!
छत्तीसगढ़ राज्य में मोटर व्हीकल एक्ट के नाम पर पुलिस विभाग की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। कभी ₹200 तो कभी ₹5000 तक का चालान — आम जनता यह समझ ही नहीं पा रही कि आखिर नियम एक हैं या पुलिस की मर्जी अलग-अलग चालान तय कर रही है।
गरीबों को बनाया जा रहा है निशाना?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिनके पास पैसे और पहुंच है, उन्हें छोड़ दिया जाता है, जबकि आम गरीबों को रोका जाता है और जबरन चालान थमा दिया जाता है। लोगों का यह भी कहना है कि छोटे-मोटे दस्तावेजों की कमी पर भारी भरकम चालान काटा जा रहा है।
जनता में आक्रोश, लेकिन पुलिस कहे आदेश ऊपर से
लोगों में बढ़ते आक्रोश के बावजूद पुलिस का कहना है कि उन्हें “ऊपर से आदेश” है और वे केवल निर्देशों का पालन कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या कानून का उपयोग अब कमाई का साधन बन चुका है?
सवाल खड़े करती है यह कार्यवाही:
एक ही गलती पर कभी ₹200 और कभी ₹5000 का चालान क्यों?
क्या चालान राशि तय करने का कोई मानक है?
पुलिस विभाग जनता को जवाब क्यों नहीं दे रहा?
छत्तीसगढ़ सरकार और परिवहन विभाग को चाहिए कि इस पूरे मुद्दे पर स्पष्टता दें और ऐसी मनमानी कार्रवाई पर रोक लगाएं।