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**सांसद के गृह जिले में नशे का खुला खेल!

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पुलिस की मेहरबानी या रेस्तराँ? अफ़सोस के कथन में प्रत्यक्ष की कानूनी व्यवस्था**

 

📍सीधी, मध्य प्रदेश | विशेष दूत

 

मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में, जोकी वर्तमान न्यूनतम का गृह जिला भी है, नशे का अवैध कारोबार अब किसी तरह का रहस्य नहीं, बल्कि दोस्त बना हुआ है। तंबाकू, तंबाकू, इंजेक्शन और टेबलेट जैसे खतरनाक नशे की लत युवाओं तक आसानी से पहुंच रही हैं।

स्थानीय लोगों और समाजसेवियों का कहना है कि नशे का यह व्यवसाय वर्षों से चल रहा है, और अब तो यह जिलों के हर छोटे-छोटे समुदाय और गांव तक फैल गया है। इस पर पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कई स्टालों पर आतंकियों ने इस अवैध व्यवसाय को बढ़ावा देने का काम किया है।

❝ “गृह जिले में नशे का कारोबार एक खुला रहस्य जैसा है…” ❞

> “हम लगातार प्रशासन से सिलिकॉन लगा रहे हैं, लेकिन ऊपर से नीचे तक कहीं भी कोई संदेह पैदा नहीं होता है। अगर पुलिस और प्रशासन ईमानदारी से कार्रवाई करते हैं, तो इस नेटवर्क को खत्म होने में कोई दिक्कत नहीं है।”

– राकेश पटेल, जादूगर

🧪बैंगनी, इंजेक्शन और टेबलेट्स का जाल: युवा पीढ़ी पर सीधा असर

प्रत्यक्ष जिलों के कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में तंबाकू, कोरेक्स (सिरप), नशीले इंजेक्शन और टेबलेट जैसे पदार्थ थ्रेडबैल से खत्म हो रहे हैं। आसपास के क्षेत्र में यह सामान आसानी से उपलब्ध है। नशे के इस दलदल में जिले की युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है।

कई मामलों में यह देखा गया है कि 14-18 साल के किशोर नशे का शिकार हो रहे हैं। परिणाम, वैज्ञानिक, तनाव मानसिक और आत्महत्या जैसी घटनाएं जनसंख्या जा रही हैं।

🚔पुलिस की ‘नरमी’ या ‘संलिप्तता’?

प्रशासन की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई मामलों में नाटकों के बावजूद पुलिस द्वारा या तो कोई कार्रवाई नहीं की गई, या फिर केवल अभिनय ही किया गया।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि-

कई प्रारंभिक याचिकाओं के बाद भी कोई अपराधी नहीं था

अवैध रूप से खिलवाड़ करने वालों को पहले से जानकारी मिल जाती है

कहीं भी पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी या कर्मचारी इस अवैध हथियार में शामिल नहीं हो सकते हैं

📣जनता की मांगें और सुझाव:

✅एसटीएफ या सीबीआई से जिले में नशे के कारोबार की जांच हो

✅ पुलिस विभाग में आंतरिक जांच कर दोषसिद्धि की गयी

✅जिला प्रशासन द्वारा विशेष अभियान युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित किया जाये

✅ स्कूल-कॉलेजों के पास विशेष निगरानी हो और छात्र-छात्राओं का नंबर सक्रिय हो

🔎 क्या न्यूनतम और प्रशासन हस्तक्षेप?

जब यह अवैध न्यूनतम न्यूनतम के गृह जिलों तक सीमित और सीमित नहीं पूरे क्षेत्र में भुगतान किया जाता है, तो यह उम्मीद की जाती है कि अल्पसंख्यक स्वयं इस पर नामांकित और मुख्यमंत्री व आरोपी से विशेष जांच दल की मांग करें।

📌 निष्कर्ष

विभिन्न जिलों की व्यवस्था व्यवस्था पर उठ रहे सवाल बेहद गंभीर हैं। नशे के व्यवसाय का लाभ केवल कानून का दायित्व नहीं, बल्कि समाज का भी दायित्व है। मगर जब प्रशासन और पुलिस ही चुप हो, तब सवाल उठना स्वभाविक है – आखिर क्या ‘सठगांठ’ वाला खतरनाक खेल चल रहा है?

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