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स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल में क्या हुई सांठगांठ…..10 महिने में नही हो सकी मौत की जांच

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बैकुंठपुर/छत्तीसगढ़

हॉस्पिटल पर 302 की कानूनी कार्रवाई प्रस्तावित…..जांच अधिकारी के साथ भी किया गया था दुर्व्यवहार

अनुमति नही होने के बावजूद अस्पताल में ईलाज के दौरान कोरोना संक्रमित की मौत पर इंसाफ अधूरा

जिला प्रशासन कोरिया के द्वारा बैकुंठपुर स्थित निजी अस्पताल में शासन के अनुमति नही होने के बावजूद कोविड मरिज के इलाज के दौरान हुए मौत के मामले जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय कुंडली मारकर बैठ गया है। पहली जाच के डेढ साल बीत जाने के बात कोई कार्यवाई नही किये जाने की ही तरह पुनः जाच में टाल मटोल किया जा रहा है। 09 फरवरी 2024 को जिला प्रशासन ने पत्र लिखकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जाच कर रिपोर्ट देने को कहा था। किन्तु आदेश के 10 महिने होने को है किन्तु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो को ठेकेदारी करने से फूर्सत नही मिली शायद। अन्यथा कोई कारण नही 300 दिन में विभाग को इसकी फूर्सत न मिली हो।

इससे पूर्व मामले में जिला प्रशासन की पहली टिम के द्वारा की गई कार्रवाई की अनुशंसा का अनुपालन नहीं हो होने पर कार्यालय कलेक्टर कोरिया ने सुनील तिवारी की शर्मा हॉस्पिटल महलपारा बैकुंठपुर में दिनांक 09 मई 2021 को इलाज के दौरान मृत्यु के संबंध में जांच कर बताने को कहा गया अथवा कैसे हुई है ।

300 दिनो कम क्यो पड गये जाच में

जिले के स्वास्थ्य महकमे ने 10 महीने यानी लगभग 300 दिन बीत जाने के उपरांत जाच करने की जहमत नही उठाई है। इस संबंध में जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्धारा 25 नवम्बर 2024 को आरटीआई की लिखित जानकारी में बताया गया कि हमें अब तक गठित जाच दल से कोई जवाब रिपोर्ट प्राप्त नही हुआ है। यही कारण है कि जानकार सारे मामले में स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल की सांठगांठ होने की बात कह रहे हैं। जबकि जाच दल का गठन 16 मई 24 को किया गया था उनमें डॉ. अशोक कुमार सिंह, मेडिसिन विशेषज्ञ- जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर को जांचकर्ता अधिकारी, डॉ. अभिषेक गढ़वाल, चिकित्सा अधिकारी जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर को सहायक एवं विनोद तिवारी, सहायक ग्रेड 03 जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर को टंकणकर्ता लिपिक बनाया गया था।

हॉस्पिटल पर 302 की कानूनी कार्रवाई है प्रस्तावित

गौरतलब हो कि शर्मा हॉस्पिटल द्वारा कोरोना पॉजेटिव सुनील तिवारी का इलाज किया गया था जो कोविड पॉजिटिव थे इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई । मृत्यु के घटना की दंडाधिकारी जांच जिला दंडाधिकारी कोरिया के आदेश पर तत्कालीन जांच अधिकारी अपर कलेक्टर बैकुंठपुर सुखनंदन अहिरवार के द्वारा बिंदुवार जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। तत्कालीन अपर कलेक्टर के द्वारा जांच प्रतिवेदन में हत्या का प्रकरण दर्ज कराकर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई हेतु प्रस्तावित किया गया ।

इसलिए दोबारा जॉच को लिखा गया है पत्र

जाच अधिकारी ने माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा चिकित्सकों के संबंध में दिनांक 05.08.2005 को जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य (2005) के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि एक निजी शिकायत पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता जब तक कि शिकायतकर्ता ने आरोपी डॉक्टर की ओर से जल्दबाजी या लापरवाही के आरोप का समर्थन करने के लिए किसी अन्य सक्षम डॉक्टर द्वारा दी गई । विश्वसनीय राय के रूप में अदालत के समक्ष प्रथम दृष्टया सबूत पेश नहीं किया हो। जांच अधिकारी को जल्दबाजी या लापरवाही से किए गए कार्य या चूक के आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले, मेडिकल प्रैक्टिस की उस शाखा में योग्य सरकारी सेवा के डॉक्टर से एक स्वतंत्र और सक्षम चिकित्सा राय प्राप्त करनी चाहिए, जिससे आम तौर पर निष्पक्षता की उम्मीद की जा सकती है। जांच में एकत्रित तथ्य पर परीक्षण को लागू करते हुए निष्पक्ष राय। इसलिए शर्मा हास्पिटल महलपारा बैकुंठपुर में कोविड पॉजिटिव मरीज सुनील तिवारी निवासी जूनापारा वैकुंठपुर की दिनांक 09.05.2021 को इलाज के दौरान मृत्यु के संबंध में जांच कर यह स्पष्ट प्रतिवेदन प्रस्तुत करें कि क्या मरीज की मृत्यु में अधिनियम 2005 का उलंघन मानकर सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियमों का उलंघन मानते हुए संचालक शर्मा को नोटिस दिया गया है।

जांच अधिकारी के साथ किया था दुर्व्यवहार

मामले में जॉच अधिकारी अपर कलेक्टर सुखनंदन अरिवार ने लिखा कि थाना प्रभारी बैकुंठपुर के द्वारा संचालक शर्मा हास्पिटल डॉ. राकेश शर्मा पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। जबकि दिनांक 06.01.2022 तक लगातार 11 बार उपस्थिति एवं साक्ष्य हेतु नोटिस जारी किया गया है, किन्तु नोटिस प्राप्त होने के बावजूद भी इस न्यायालय में कभी भी उपस्थित नहीं हुए। सक्षम जांच अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया, जिसकी सूचना कार्यवाही हेतु थाना प्रभारी बैकुण्ठपुर को दिया गया था किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। जांच में मृतक का उपचार किये गये अन्य सुसंगत अभिलेख प्राप्त किया गया। प्रकरण में समग्र विवेचना उपरांत एवं आए साक्षियों तथा अभिलेखों के आधार पर प्रतिवेदन दिया गया है।

जिला प्रशासन की जाच टिम ने यह दिया था रिपोर्ट

जाच अधिकारी ने कहा कि मृतक सुनील तिवारी को कोविड-19 मरीज थे इसके बावजूद भी संचालक शर्मा हास्पिटल के डॉ. राकेश शर्मा द्वारा कोविड-19 के ईलाज हेतु अधिकृत न होने के बावजूद उपचार किया। जिसके कारण प्रथम दृष्टया मरीज सुनील तिवारी की मृत्यु होना प्रतीत होता है। मृतक की पुष्टि एन्टीजन रिपोर्ट से होती है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा कलेक्टर कोरिया के निर्देशानुसार संचालक शर्मा हास्पिटल को छ०ग० राज्य उपचर्यागृह तथा उपचार की अनुमति नही थी।

अनुमति नही फिर भी किया ईलाज से हुई मरिज की मौत

शर्मा हास्पिटल पर स्वास्थ्य संस्थाओं के तहत उलंघन एवं एपीडेमिक डिजीज एक्ट-1897 व भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 186 तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उलंघन मानकर सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियमों का उलंघन मानते हुए उक्ताशय की जानकारी थाना प्रभारी बैकुंठपुर को सूचित किया गया। इसके बावजूद भी संचालक शर्मा हास्पिटल के डॉ० राकेश शर्मा द्वारा कोविड-19 के ईलाज हेतु अधिकृत न होने के बावजूद उपचार किया गया। जिसके कारण दस्तावेज के आधार पर मरीज सुनील तिवारी की मृत्यु होना पाया गया।

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