क्राइम किलर न्यूज।रायपुर कोरिया।
किसानों की सुविधा और कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इन योजनाओं के नाम पर बड़े पैमाने पर शोषण और बंदरबांट की कहानी बयां करती है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि विभाग की बोरिंग संबंधी योजना के अंतर्गत जिले-दर-जिले कांट्रेक्टरों की मिलीभगत से ग्रामीण और विशेषकर आदिवासी किसानों को टारगेट किया जा रहा है। योजना का लाभ दिलाने के नाम पर किसानों से फॉर्म भरवाकर बोरिंग का काम किया जाता है, लेकिन असलियत में दरें मनमाने तरीके से तय की जाती हैं।नॉर्मल मिट्टी पर दर: 90 रुपए प्रति फुट हार्ड मिट्टी पर दर: 120 रुपए प्रति फुट केसिंग पाइपिंग पर दर: 500 रुपए प्रति फुट तक इन मनमानी दरों को आधार बनाकर बिल पास कराए जाते हैं। सब्सिडी का पैसा तो कागजों में बचा लिया जाता है, लेकिन वास्तविकता में किसानों से अतिरिक्त रकम वसूली जाती है किसानों का कहना है कि योजना के नाम पर उन्हें न तो सही रेट का लाभ मिल रहा है और न ही सब्सिडी का पूरा फायदा। अधिकांश रकम बीच के ठेकेदारों, अधिकारियों और कमीशनखोरों की जेब में जा रही है।इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार द्वारा किसानों के हित में बनाई गई योजनाएँ वास्तव में उनके लिए हैं या केवल भ्रष्टाचार का जरिया बन गई हैं? ग्रामीणों और आदिवासी किसानों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।