मनेंद्रगढ़।
नगरपालिका मनेंद्रगढ़ में भ्रष्टाचार अब केवल वित्तीय गड़बड़ियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह आपराधिक रूप लेता जा रहा है। पारदर्शिता की मांग करने वालों को सीधे तौर पर धमकियां दी जा रही हैं, और राजनैतिक दबाव के चलते कई पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, नगरपालिका में लंबे समय से निर्माण कार्यों, टेंडरों और सफाई जैसे मूलभूत सेवाओं में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है। अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि जो भी इन भ्रष्टाचारों के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे राजनीतिक रसूखदारों के इशारे पर प्रताड़ित किया जा रहा है।
स्थानीय पत्रकारों ने भी आरोप लगाए हैं कि भ्रष्टाचार से जुड़ी रिपोर्टिंग करने पर उन्हें धमकाया जा रहा है और दबाव बनाकर खबरों को रुकवाने की कोशिश की जाती है। वहीं कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाने तक की धमकी दी जा रही है।
नगरपालिका के भीतर काम कर रहे कुछ ईमानदार अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कामों के अनुमोदन में बिना कमीशन कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती। टेंडर प्रक्रिया में भी मनमानी और अपनों को फायदा पहुंचाने का खेल चलता है।
प्रशासन मौन, जनता परेशान
यह हालात तब और चिंताजनक हो जाते हैं जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को न सिर्फ डराया जाता है, बल्कि प्रशासन भी इस पूरे मामले में मूकदर्शक बना हुआ है। सवाल उठता है कि क्या मनेंद्रगढ़ नगरपालिका अब कानून से ऊपर हो चुकी है?
राजनैतिक संरक्षण बना रहा है दीवार
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सीधा आरोप है कि नगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि कोई कार्रवाई नहीं हो रही और अपराधी मानसिकता के लोग बेलगाम होते जा रहे हैं।
अब जनता को ही उठानी होगी आवाज
समय आ गया है जब जनता को ही इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होना होगा। अगर अब भी चुप्पी साधी गई, तो आने वाले वर्षों में मनेंद्रगढ़ नगरपालिका एक ‘भ्रष्टाचार का गढ़’ बन जाएगा।