मनेंद्रगढ़।
नगरपालिका मनेंद्रगढ़ का जोड़ा तालाब इस समय भ्रष्टाचार की जीती-जागती मिसाल बन गया है। यहां पहले करोड़ों का काम करवा लिया गया और अब कागजों पर टेंडर निकाला जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह पूरा मामला सुनियोजित राजनीतिक साठगांठ और प्रशासनिक संरक्षण का नतीजा है, जो सीधे-सीधे करोड़ों रुपए के घोटाले की ओर इशारा करता है।
पहले काम, फिर टेंडर — नियमों की उड़ रही धज्जियां
नियम के अनुसार किसी भी सरकारी काम के लिए पहले टेंडर प्रक्रिया पूरी होती है, फिर कार्य प्रारंभ होता है। लेकिन जोड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण और सफाई कार्य में इसका उल्टा हुआ। करीब 1.5 करोड़ रुपए का कार्य पहले ही करवा दिया गया, और अब टेंडर दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं — वो भी पीछे से “लीगल कवर” देने के लिए।
सत्ताधारी दल और अधिकारियों की साठगांठ!
स्थानीय जनता आरोप लगा रही है कि इस पूरे प्रकरण में नगरपालिका अध्यक्ष पति की भूमिका, प्रशासनिक अधिकारियों की मौन सहमति और राजनीतिक दबाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के प्रवक्ता सौरभ मिश्रा का नाम भी इस टेंडर प्रक्रिया से जुड़ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह पूरा घोटाला किसी राजनैतिक दबाव में स्वीकृत हुआ?
नगरीय प्रशासन मंत्री की चुप्पी सवालों के घेरे में
छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव इस पूरे मुद्दे पर चुप हैं। क्या उन्हें यह जानकारी नहीं है कि मनेंद्रगढ़ का यह मामला न सिर्फ स्थानीय बल्कि राज्य स्तरीय मीडिया में लगातार सुर्खियों में है? क्या प्रशासनिक मशीनरी ने मंत्री तक यह गंभीर मामला नहीं पहुंचाया या फिर इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है?
जनआक्रोश बढ़ा, कार्रवाई की मांग तेज
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक तालाब नहीं, जनता की मेहनत की कमाई का मजाक है। उन्होंने तत्काल उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और संबंधित अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई की मांग की है।
यह खबर एक उदाहरण है कि कैसे मनेंद्रगढ़ नगरपालिका में बड़े घोटाले हो रहे हैं — जहां सत्ता, पैसा और पद मिलकर पारदर्शिता और लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं।
> जांच कब होगी? जवाबदेही तय कब होगी? क्या जोड़ा तालाब का पानी कभी इस गंदगी से साफ होगा — या सिर्फ कागजों पर चमकेगा?