मनेंद्रगढ़।
नगरपालिका मनेंद्रगढ़ एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। इस बार मामला जुड़ा है शहर के ऐतिहासिक जोड़ा तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण कार्य से, जो अब एक साफ-सुथरे तालाब की बजाय घोटाले की गवाही बन गया है।
जानकारी के अनुसार, पहली ही बारिश में तालाब की सीढ़ियां और किनारे की मिट्टी धंस गई, जिससे साफ जाहिर होता है कि कार्य की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। तालाब में किया गया सफाई और निर्माण कार्य केवल कागजों में ही दिखाई देता है, जमीन पर स्थिति भयावह है।
नगरपालिका में अध्यक्ष पति का सीधा दखल
नगरपालिका अध्यक्ष के पति, जो खुद 20 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं, उनके सीधे हस्तक्षेप और दबदबे से यह साफ होता है कि मनेंद्रगढ़ नगरपालिका अब जनहित के कार्यों से ज्यादा ‘संपर्क और समझौते’ का केंद्र बन चुका है।
सूत्रों की मानें तो, एक पार्टी में रहते हुए भी उन्होंने दूसरी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों को खुश रखने की राजनीति में महारत हासिल कर ली है। यही कारण है कि जांच एजेंसियां या स्थानीय प्रशासन उनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता।
PHE विभाग के पानी पर भी गहराया संदेह
मनेंद्रगढ़ के निवासी बताते हैं कि गर्मी के दिनों में PHE विभाग से आने वाले पानी को टैंकरों के माध्यम से निजी सप्लाई कर कमीशन खोरी की जाती है। यह काम भी नगरपालिका की छत्रछाया में हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जनता के अधिकारों को मुनाफे के सौदे में बदल दिया गया है।
सूत्रों का बड़ा दावा
सूत्रों ने दावा किया है कि इस पूरे घोटाले के पीछे मनेंद्रगढ़ नगरपालिका में बैठे ‘आका’ सरजू यादव की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नगरवासियों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि हर वर्ष सफाई और विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, पर परिणाम शून्य रहता है।
सवाल उठता है…
क्या मनेंद्रगढ़ नगरपालिका के भ्रष्टाचार पर अब भी चुप्पी रहेगी?
क्या नगरवासी सिर्फ बरसात में धंसती सीढ़ियां देखते रहेंगे या कार्रवाई की मांग करेंगे?
क्या जांच एजेंसियां इस घोटाले पर स्वत: संज्ञान लेंगी?
जनता अब जवाब चाहती है — ना कि और झूठे सौंदर्यीकरण के वादे।