मनेंद्रगढ़ में स्थापित गोंडवाना मैरिन फॉसिल्स पार्क एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पार्क के सौंदर्यीकरण के नाम पर सरकार द्वारा खर्च की जा रही भारी भरकम राशि के बीच अब भ्रष्टाचार की बू साफ महसूस की जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, पार्क में उन चट्टानों पर नक्काशी करवा दी गई है जहां अब भी फॉसिल्स मिलने की संभावना थी। इससे जैव विज्ञान और भूगर्भ शास्त्र की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण धरोहरों को नुकसान पहुंचने की आशंका है।इस पूरे प्रकरण में मनेंद्रगढ़ के डीएफओ की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लग गया है। पहले भी उन पर कई बार गंभीर आरोप लग चुके हैं, और वह कई बार मीडिया की सुर्खियों में भी रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें उच्चस्तरीय संरक्षण मिलना कई सवाल खड़े करता है।मनेंद्रगढ़ वन मंडल धीरे-धीरे भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है। इसके खिलाफ लगातार शिकायतें और जानकारियां सामने आ रही हैं, फिर भी सरगुजा वनवृत्त के प्रमुख सीसीएफ का रवैया उदासीन और चुप्पी भरा बना हुआ है। आखिर क्यों नहीं हो रही है ठोस कार्यवाही? क्या उच्च अधिकारियों की यह चुप्पी किसी मिलीभगत की ओर इशारा करती है?
पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रही जनता अब इस मुद्दे पर कड़े कदम की उम्मीद कर रही है। अन्यथा यह मामला भी सरकारी तंत्र की एक और दबी-कुचली फाइल बनकर रह जाएगा।
स्थापना व उद्देश्य
गोंडवाना मैरीन फ़ाशिल्स पार्क मार्च 2022 में स्थापित किया गया जिसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया गया था एवं 280-290 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवाश्मों का संरक्षण,उन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपलब्ध कराना और पर्यटन के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना आपको बता दें इस परियोजना के लिए लाखों रुपए स्वीकृत किए गए सौंदर्यीकरण,प्रतिमाएं, पथ विजन,गार्डन, राफ्टिंग व इंटरप्रिटेशन सेंटर निर्माण में लगभग में 42 लाख रुपए का भुगतान कर बनाया गया है एवं 17.50 लाख रुपए का अतिरिक्त स्वीकृति सुरक्षा हेतु इस्तमाल हुआ है।ताकि यह गोंडवाना मैरीन फ़ाशिल्स पार्क मनेंद्रगढ़, वैज्ञानिक पर्यटन मानचित्र पर पहुंचाने की दिशा में निर्णायक साबित हो सके किंतु उद्देश्य से उलट गोंडवाना मैरीन फ़ाशिल्स पार्क मनेंद्रगढ़।