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वन रक्षक पूरी तरह से बने वन के भक्षक लकड़ियों की कटाई कर होती है अवैध तस्करी।

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भ्रष्टाचार पर “ई कुबेर” ने शिकंजा क्या कसा मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अफसर जंगल पर ही टूट पड़े

हराम की खैरात के आदतन अब जंगल की लकड़ियों के तस्करी पर उतरे

मनेंद्रगढ़ वन मंडल मतलब भ्रष्टाचार का समंदर । विगत 10 वर्षों से मनेंद्रगढ़ वन मंडल विभिन्न प्रकार के वन संरक्षण बावत जारी भारी भरकम आबंटन राशि का 70% हिस्सा का आपसी बंदरबांट करते आया है।और जिस भ्रष्टाचार में मनेंद्रगढ़ के तमाम डीएफओ और रेंजरों की साझेदारी रही है ।जिसने भी चाहा जी भरकर सरकारी पैसे का जमकर खेल किया ।70% राशि में डीएफओ जैसे अफसर का 25% एसडीओ का 15% बाकी बचे 60% में 40%रेंजर और 20% निचले स्तर के कर्मचारियों में बांटा जाता था। जिसका सीधा खेल यही था की जंगलों में हर प्लांटेशन का दस वर्षों तक देखरेख,मृदा जल संरक्षण से विभिन्न प्रकार के कंटूर,बोल्डर चेक डेम,एनीकट,वन मार्ग,प्लांटेशनों की फेंसिंग,कच्चा बंधान,नए प्लांटेशन के लिए नर्सरी में पौधे तैयार करना उनके सभी संसाधन,जैसे तमाम प्रकार के कार्यों के लिए जारी होती है राशि और जिसकी पूरी राशि का सिर्फ 30% राशि ही कार्यों में लगाया जाता था। परन्तु बीते एक वर्षों से या यह कह सकते हैं की ई कुबेर सिस्टम लागू होने के बाद वन विभाग के भ्रष्टाचार के आदतन अफसरों के लिए हराम के खैरात का अकाल सा पड़ गया। जिसकी सिर्फ एक वजह है ” ई कुबेर” भुगतान प्रणाली जिसके माध्यम से ज्यादातर कार्यों या खरीदी बिक्री का भुगतान डीएफओ या रेंजर के खाते के बजाए अब सीधे संबंधित के खाते में जाना शुरू हो गया। जिससे इन अफसरों के तिजोरी में ताला लग गया और भ्रष्टाचार की कमाई के वांदे हो गए।

भ्रष्टाचार का खून लगा मुंह अब जंगली कोयला और लकड़ियों के व्यापार में उतरा ,,,

70% के आदतन मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अफसर और रेंजरों पर ई कुबेर ने ऐसी दो लत्ती मारी है की इनके मुंह से मक्खी तक नहीं उड़ पा रही है। वन विभाग के विभागीय मद पर ई कुबेर का शिकंजा और कैंपा मद में गिना चुना काम जिससे इनके खुद का पेट्रोल डीजल और 70,,80 किलोमीटर से मुख्यालय अप डाउन का नवाबी खर्चा भी नसीब नहीं हो पा रहा है। उसके ऊपर इन भ्रष्ट अफसरों के अलग अलग शहरों जगहों में काली कमाई का इन्वेस्टमेंट और नवाबी शान ए शौकत सबकी वाट लग चुकी है। तो अब ऐसे में ये आदतन हराम का खाने वाले अफसर अपनी बादशाहत की पूर्ति के लिए जंगलों का कोयला और लकड़ियों के खरीद फरोख्त में लग गए हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है की मनेंद्रगढ़ वन मंडल के कुंवारपुर,जनकपुर,बहरासी और केल्हारी सहित मनेंद्रगढ़ रेंज के रेंजर बड़े पैमाने पर जंगली कोयला और साल,सरई सहित सागौन और चंदन की लकड़ियों की तस्करी में अंदरूनी तौर पर सक्रिय हैं। साथ ही वनों में अवैध कब्जाधारियों से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं। जिस कारण बीहड़ वनों में बड़े स्तर पर आबादी बढ़ती जा रही है। इन सभी रेंजों की सीमा मध्यप्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों से जुड़ने के कारण कोयले और लकड़ियों की तस्करी बहुत आसान हो जाती है। अवगत करा दें की हाल ही में जो कुंवारपुर रेंज अंतर्गत सरई के सैकड़ों पेड़ों की एक चक कटाई हुई थी ये उसी तस्करी का हिस्सा था जिस पर जांच पश्चात मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वन वृत ने पर्दा डाल दिया था। जैसा की हमने आपको पहले भी बताया था की कोरिया और एमसीबी जिले में नीलगिरी तो शुरुआत थी जो अब नीलगिरी से शुरू हुई तस्करी चंदन,सागौन,साल के अंतरराज्यीय तस्करी का रूप ले लिया है। साथ ही मनेंद्रगढ़ रेंज से कोयले की बड़ी बड़ी खेप भी मध्यप्रदेश भेजी जा रही है।

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