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नरभक्षी रेंजर को राज्य अनुसूचित जाति आयोग की फटकार

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अनुसूचित जाति आयोग ने माना – रेंजर अनुराग वर्मा ने जानबूझकर पिडिता का वेतन रोका, तत्काल भुगतान के दिए निर्देश

क्राइम किलर रिपोर्टर कवर्धा

कवर्धा। लोहारा परिक्षेत्र के चर्चित रेंजर अनुराग वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग, रायपुर ने उनके खिलाफ गंभीर टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया है कि उन्होंने एक महिला दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी का वेतन जानबूझकर रोका है और इसे तत्काल मई 2024 से भुगतान किया जाए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हरियर छत्तीसगढ़ योजना अंतर्गत लोहारा परिक्षेत्र में कुल 12 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। इनमें से 11 कर्मचारियों को नियमित मानदेय का भुगतान किया जा रहा था, जबकि एकमात्र महिला कर्मचारी – सुश्री हेमलता नायक – को मई 2024 से वेतन से वंचित कर दिया गया। रेंजर अनुराग वर्मा ने फंड की कमी का हवाला देकर उनका वेतन रोका और उन्हें कार्य से भी अलग करने का प्रयास किया।

इतना ही नहीं, आयोग की जांच में यह भी सामने आया कि रेंजर ने हेमलता नायक पर जबरन ऑफिस आने और फाइल चोरी की आशंका जताते हुए पुलिस को भी सूचना दी। आयोग ने इसे प्रताड़ना और षड्यंत्र माना है और स्पष्ट किया कि यह एकतरफा भेदभाव और सत्ता का दुरुपयोग है।

आयोग ने वन विभाग को निर्देशित किया है कि सुश्री नायक का रोका गया वेतन तत्काल प्रभाव से दिया जाए। आयोग के इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि पिडिता के साथ ज्यादती हुई है।

इस पूरे प्रकरण में वन मंडल अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि उन्हें कई शिकायतें मिलने के बावजूद अब तक न तो कोई जांच करवाई गई और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई। इससे यह संदेह और गहराता है कि क्या रेंजर को विभागीय संरक्षण प्राप्त है?

पूर्व में “लोहारा खारा के जंगल और नरभक्षी रेंजर” नामक रिपोर्ट में भी अनुराग वर्मा की कार्यशैली को लेकर सवाल उठे थे। अब अनुसूचित जाति आयोग की पुष्टि ने उन शंकाओं को और मजबूती दी है।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वन विभाग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाता है, जो न केवल कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं, बल्कि विभाग की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं।

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