*RTO विभाग व पुलिस की मेहरबानी से सड़कों पर दौड़ रहीं अवैध बसें*
भूपेंद्र सिंह गंभीर/क्राइम किलर न्यूज।
*एमसीबी*:- जिले में सड़क सुरक्षा और यात्री नियमों की जमकर अनदेखी हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरटीओ विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से जिले में बिना फिटनेस और परमिट की बसें बेधड़क चल रही हैं। यह न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि यात्रियों की जान के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
*एक परमिट, दो बसें – खुली लूट का खेल*
जिले में कई ऐसी बसें सामने आई हैं जो एक ही परमिट पर दो-दो चक्कर काट रही हैं। यानी एक बस का परमिट बनवाकर उसी दस्तावेज का उपयोग दूसरी बस के लिए भी किया जा रहा है। परिवहन विभाग की आंखों के सामने यह सब कुछ हो रहा है, मगर कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा है।
*दूसरे राज्यों से आने वाली बसें – वैध दस्तावेज गायब*
एमसीबी जिले में दूसरे राज्यों से आने वाली बसों के पास न तो वैध परमिट हैं और न ही स्टेट काउंटर से सत्यापित कोई दस्तावेज। इन बसों पर न स्टेट ट्रांजिट टैक्स चुकाया गया है और न ही फिटनेस सर्टिफिकेट मौजूद है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि बस एजेंटों और आरटीओ अधिकारियों के बीच गहरी सांठगांठ है।
*स्थानीय बस एजेंटों की दबंगई और मिलीभगत*
स्थानीय स्तर पर काम कर रहे बस एजेंट कथित रूप से आरटीओ और पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलकर इस गैरकानूनी धंधे को चला रहे हैं। चंद पैसों की खातिर नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है।
*छोटी मिनी बसें बनीं खतरे का कारण*
छोटी मिनी बसों में ओवरलोडिंग आम हो गई है। तय सीटों से अधिक सवारियां ठूंस-ठूंसकर भरी जा रही हैं। कई बार तो खड़े यात्रियों की संख्या बैठने वालों से भी ज्यादा होती है। इससे न केवल हादसे की आशंका बढ़ती है, बल्कि सड़क पर चलने वाले अन्य वाहन चालकों के लिए भी यह जोखिम भरा होता है।
*प्रशासन की चुप्पी – सवालों के घेरे में अधिकारी*
इतनी सारी अनियमितताओं के बावजूद प्रशासन और संबंधित विभागों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे साफ है कि इस पूरे मामले में उच्च स्तर तक मिलीभगत हो सकती है।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कब जागता है और क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा।