मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़: नगरीय निकायों में सड़क और नाली निर्माण भ्रष्टाचार का एक ऐसा खेल बन चुका है, जिसमें जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। हर पांच साल में बनने वाली सड़कें और नालियां महज कमीशनखोरी का जरिया बन गई हैं। लेकिन अब यह खेल एक नए स्तर पर पहुंच चुका है—जहां नाले के बगल में नाली बनाई जा रही है, और वह भी किसी आम जनता के लिए नहीं, बल्कि किसी प्रभावशाली व्यक्ति की जमीन के लिए।
सड़क के ऊपर सड़क, नाली के ऊपर नाली
मनेंद्रगढ़ से आई तस्वीरें इस भ्रष्टाचार की गवाही दे रही हैं। यहां एक राष्ट्रीय राजमार्ग के नाले के ठीक बगल में नगरपालिका की नाली बनाई गई है, जिसकी लंबाई लगभग 300 मीटर है। हैरानी की बात यह है कि इस नाली के आस-पास कोई रिहायशी इलाका नहीं है। नाली की शुरुआत शहर के एक जमींदार की जमीन से होती है और वहीं खत्म हो जाती है—न एक इंच आगे, न एक इंच पीछे।
क्यों बनाई गई यह नाली?
यह सवाल लाजिमी है कि जहां पहले से ही एक बड़ा नाला मौजूद है, वहां नगरपालिका द्वारा एक नई नाली बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह सच में विकास कार्य है, या फिर सरकारी फंड को ठिकाने लगाने का एक और तरीका? स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह नाली किसी आम जनता के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ एक प्रभावशाली व्यक्ति के निजी हितों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
भ्रष्टाचार का बदला हुआ चेहरा
पहले जहां नगरीय निकायों के अधिकारी और अध्यक्ष कमीशनखोरी में लिप्त रहते थे, अब ठेकेदार खुद ही इस भ्रष्टाचार का हिस्सा बन चुके हैं। ठेकेदारों के पीछे छिपे असली मालिक कौन हैं, यह सवाल हमेशा अनसुलझा ही रहता है। पहले काम की गुणवत्ता पर सवाल उठते थे, अब काम की जरूरत पर ही सवाल उठ रहे हैं।
जनता के पैसों की बर्बादी
इस तरह की गैर-जरूरी नालियां और सड़कों का निर्माण न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि वास्तविक जरूरतमंद क्षेत्रों के विकास को भी रोकता है। जहां शहर के कई इलाकों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं और बरसात में जलभराव की समस्या बनी रहती है, वहीं नगर पालिका ऐसी जगह नाली बना रही है, जहां इसकी कोई जरूरत ही नहीं।
प्रशासन की भूमिका और निष्कर्ष
यह मामला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या इस तरह के निर्माण कार्यों की जांच होगी? क्या जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा? या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धीरे-धीरे भुला दिया जाएगा?
अगर ऐसे मामलों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में नगर निकाय विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह जाएंगे। सड़क के ऊपर सड़क और नाली के ऊपर नाली बनती रहेगी—और जनता अपने ही पैसों के इस खेल को बस देखती रहेगी।