*एमसीबी जिले में अधूरी टंकियां, बिछी नहीं पाइपलाइन, हर घर जल योजना बन गई मजाक*
भूपेंद्र सिंह गंभीर
फ़तवा समाचार
*एमसीबी*:-भारत सरकार द्वारा शुरू की गई बहुप्रचारित योजना जल जीवन मिशन, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के हर घर को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना था, वह एमसीबी जिले में भ्रष्टाचार, अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ता दिख रहा है। जिले के कई गांवों में न तो पानी की टंकियां सही तरीके से बनी हैं और न ही पाइपलाइन बिछाई गई है। ‘हर घर जल’ का सपना ग्रामीणों के लिए अब एक बड़ा धोखा बनकर रह गया है।
*शुरू होने से पहले ही फटने लगीं पानी की टंकियां*
जल जीवन मिशन के तहत जिन टंकियों का निर्माण कराया गया, वे शुरू होने से पहले ही दरकने लगी हैं। कुछ टंकियों में दरारें पड़ी हैं तो कुछ जगहों पर पानी के दबाव से टंकी की दीवारें बाहर की ओर झुकने लगी हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण में अत्यंत घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और जिम्मेदार अधिकारियों ने आँख मूँदकर इसे पास कर दिया।
*गांव-गांव में अधूरी योजना, सिर्फ दिखावे के नल*
एमसीबी जिले के कई गांवों में घरों के बाहर नल जरूर खड़े कर दिए गए हैं, लेकिन उनमें पानी की एक बूंद भी नहीं आती। ग्रामीणों का कहना है कि टंकी से अगर पानी भेजा ही नहीं जाएगा, तो ये नल किस काम के? ये सिर्फ फोटो खिंचवाने और रिपोर्टों में ‘कार्य पूर्ण’ दिखाने के लिए लगाए गए हैं। कुछ गांवों में तो टंकियां बनी ही नहीं हैं, और जिनमें बनी हैं, वहां पानी लाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
*पाइपलाइन की बिछत अधूरी, कई जगह शुरू ही नहीं हुई*
एक ओर जहां टंकियां अधूरी और असुरक्षित हैं, वहीं दूसरी ओर गांवों में पाइपलाइन बिछाने का कार्य या तो शुरू ही नहीं हुआ या बीच में अधूरा छोड़ दिया गया। कुछ गांवों में पाइपलाइन का नामोनिशान तक नहीं है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना को गंभीरता से लागू नहीं किया गया।
*भ्रष्टाचार की बू, लाखों का घोटाला संभव*
ग्रामीणों और कुछ जागरूक सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस योजना में लाखों रुपये का घोटाला हुआ है। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से लेकर काम की निगरानी तक हर स्तर पर लापरवाही और भ्रष्टाचार दिखाई देता है। स्थानीय पंचायतों और अधिकारियों के मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।
*ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, माँग की जांच की*
गांववासियों का कहना है कि वे वर्षों से साफ पानी के लिए जूझ रहे हैं। जल जीवन मिशन से उन्हें उम्मीद थी कि अब उनके घरों तक शुद्ध जल पहुंचेगा, लेकिन योजना से सिर्फ निराशा हाथ लगी है। कई गांवों में लोग विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं और जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
*प्रशासन की चुप्पी, कोई जवाबदेही नहीं*
जिले के अधिकारियों से जब इस संबंध में संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। कुछ अधिकारी फाइलों का हवाला देकर मामले को टालते नजर आए। इससे साफ है कि जिम्मेदारी तय करने की बजाय मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
जल जीवन मिशन जैसी जनकल्याणकारी योजना अगर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए, तो इससे न केवल सरकार की छवि धूमिल होती है, बल्कि आम जनता का भरोसा भी टूटता है। ऐसे में जरूरी है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। जब तक जिम्मेदारों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसी योजनाएं ज़मीनी स्तर पर सफल नहीं हो पाएंगी।