
कोरिया। कोरिया वन मंडल के अधीन आने वाला एक वन नाका इन दिनों अवैध रेत परिवहन का मुख्य द्वार बन चुका है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस वन नाके पर वन संपदा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वहां से रोजाना सैकड़ों की संख्या में रेत से भरे ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से निकल रहे हैं। आरोप है कि यह नाका अक्सर बंद रहता है और ताला लटका रहता है, जिससे अवैध परिवहन करने वालों को खुली छूट मिल रही है।
जिम्मेदार बने मूक दर्शक: वन विभाग पर उठे सवाल
तस्वीर में दिख रहा वन विभाग का यह नाका, जो वन नाका-नगर के नाम से जाना जाता है, अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। स्थानीय लोगों और सूत्रों के अनुसार, रात के अंधेरे में ही नहीं, बल्कि दिन के उजाले में भी अवैध रेत से भरे वाहन बिना किसी रोक-टोक के यहां से गुजर रहे हैं।
नाके पर ताला: नाके के बैरियर का खुला रहना और भवन पर ताला लगा रहना विभाग की लापरवाही और मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
सैकड़ों वाहन: प्रतिदिन सैकड़ों अवैध रेत लोड वाहन निकलने की खबर से स्पष्ट है कि यह अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है।
वन संपदा को खतरा: अवैध रेत खनन से न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि नदियों और वन क्षेत्रों के पारिस्थितिकी तंत्र को भी गंभीर क्षति पहुंच रही है।
खनिज विभाग की ‘खानापूर्ति’ की कार्यवाही

एक ओर जहां वन विभाग मूक दर्शक बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर खनिज विभाग की कार्यवाही भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों का कहना है कि खनिज विभाग द्वारा कभी-कभार खानापूर्ति के लिए छोटे वाहनों पर कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन अवैध कारोबार के मुख्य सरगनाओं और बड़े माफियाओं पर नकेल कसने में वह नाकाम रहा है।
कोरिया जिला प्रशासन की अवैध रेत माफिया पर लगाम कसने की तमाम कोशिशें धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही हैं। नाके से रेत की अवैध निकासी जारी रहना प्रशासन के दावों की पोल खोल रहा है।
“वन विभाग और खनिज विभाग दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वे जिले में अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकें। इस नाके पर ताला लगा रहना और वाहनों का बेखौफ निकलना दर्शाता है कि या तो अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, या वे जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं।” – स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता
crimekillernews hindi news