
रायपुर/बिलासपुर (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। विधानसभा में दिए गए आश्वासन के बावजूद तखतपुर में सोनोग्राफी मशीन स्थापित न होने और कथित तौर पर ‘नकली मशीन’ खरीदे जाने के गंभीर आरोपों के बाद, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।संचालनालय द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला बिलासपुर को भेजे गए एक सख्त पत्र में जुलाई 2025 सत्र के दौरान दिए गए आश्वासन (क्र. -297) की अवहेलना को रेखांकित किया गया है।
भ्रष्टाचार की आशंकाएं:
यह मामला तब सामने आया जब माननीय विधायक श्री धर्मजीत सिंह ने विधानसभा आश्वासन समिति की बैठक में यह दावा किया कि तखतपुर के लिए सोनोग्राफी मशीनें खरीदी और भेजी जा चुकी हैं।
मशीन गायब/स्थापित नहीं: विभाग के पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विधायक के कथन के विपरीत, आज तक एक भी सोनोग्राफी मशीन तखतपुर में स्थापित नहीं हुई है।
नकली मशीन का आरोप: सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि पत्र में यह भी उल्लेख है कि कथित तौर पर भेजी गई मशीन के बारे में यह जानकारी सामने आई है कि यह “नकली मशीन” है।
वित्तीय अनियमितता: यदि मशीन खरीदी गई थी लेकिन वह स्थल पर पहुंची ही नहीं, या यदि जानबूझकर एक ‘नकली’ या घटिया गुणवत्ता वाली मशीन खरीदी गई है, तो यह स्पष्ट रूप से जन स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों की खरीदी में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।संचालनालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमएचओ से प्रकरण का तत्काल परीक्षण कर स्पष्ट अभिमत और टीप सहित जानकारी मांगी है, ताकि भ्रष्टाचार के इस मामले में नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जा सके। यह घटना बताती है कि सरकारी खरीदी में किस तरह जनता के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है।स्वास्थ्य विभाग की इस सख्ती से संकेत मिलते हैं कि इस हाई-प्रोफाइल मामले में जल्द ही बड़ा एक्शन लिया जा सकता है।
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